हिन्दू हृदय सम्राट अशोक सिंहल जी मानव कल्याण व परोपकार के लिए ही संभवतः इस धरा पर आए थे। एक श्रेष्ठ संगठनकर्ता, कुशल आंदोलनकारी और वेद मर्मज्ञ अशोक जी का हृदय सदैव निर्बलों और अशक्तों की सहायता के लिए उद्वेलित रहता था। वनवासी क्षेत्र में उचित पोषण व पौष्टिक भोजन के अभाव में बीमार और लाचार मांओं व बच्चों को देखकर अशोक जी का करुण हृदय द्रवित हो जाता था। इस निमित्त उन्होंने विश्व हिन्दू परिषद् में जो प्रकल्प शुरू किए उनमें ऐसे लोगों के कल्याण को सर्वाधिक प्राथमिकता दी। अशोक जी ने सदैव समाज और राष्ट्र के हित में होने वाले कार्यों का समर्थन किया। उन्होंने सरकारों का मोह न ताककर सामाजिक पहल के माध्यम से यथाशक्ति समाज व देश के कल्याण के लिए हो रहे देव कार्यों में तन-मन-धन से सहायता की।