गीता में कहा गया है कि श्रेष्ठ लोग जैसा आचरण करते हैं अथवा महान लोग जिस रास्ते पर चलते हैं शेष समाज उनका अनुकरण करता है। अशोक जी प्रत्येक समय की पीढ़ी के लिए ऐसे ही अनुकरणीय व्यक्ति हैं जिनका व्यक्तित्व व कृतित्व तथा आचरण व्यवहार हर युग के लिए स्वीकार्य एवं प्रेरणादायक होगा। अशोक जी का व्यवहार बच्चों, किशोरों, युवाओं, महिलाओं व बुजुर्गों के लिए एक जैसा था, उन्हें सबके सरोकारों की चिन्ता रहती थी और यथाशक्ति वे प्रयास करते थे कि सभी के लिए कुछ न कुछ कार्य विहिप के प्रकल्पों के माध्यम से हों, जिससे वे न केवल संगठन से जुड़ें बल्कि समाज व देश के लिए सामूहिम रूप से ठोस दैवीय कार्य के लिए भी एकजुट हों। अशोक जी ने समाज के सभी वर्गों के लिए जितनी चिन्ता की, उसी का परिणाम रहा देश के हर व्यक्ति और हर घर में श्रद्धाभाव से सम्मानित होते रहे और आज भी जन-जन के मन में उनकी देव प्रतिमा विद्यमान है और वे सबके मार्गदर्शक व प्रेरक बनकर अपना अद्भुत प्रभाव बनाए हुए हैं।