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6th 'Bharatatma Ashok Singhal Ved Awards to be held on 15th , Piyush Goyal,  Minister for Commerce & Industry to be the Chief Guest

6th 'Bharatatma Ashok Singhal Ved Awards to be held on 15th , Piyush Goyal, Minister for Commerce & Industry to be the Chief Guest

Source https://www.newsheads.in/india/news/6th-bharatatma-ashok-singhal-ved-awards-to-be-held-on-15th-piyush-goyal-minister-for-commerce-industry-to-be-the-chief-guest-article-68209

To commemorate late Shri Ashok Singhal, the Ashok Singhal Foundation is hosting the 6th edition of 'Bharatatma Ashok Singhal Vedic Puruskar' on Monday, 15th October. The award event will be held at Chinmaya Mission 89- Lodhi Estate, Lodhi Road, New Delhi. Shri Piyush Goyal, Union Minister, Commerce and Industry of India, will be the Chief Guest in the holy presence of Parampujya Swami Govinddev Giriji. The primary goal of this award is to recognize excellence in the Vedic field and relevant genres. It is the most prestigious award in the Vedic field, given in four categories: Uttam Veda Vidyarthi, Adarsh ​​Vedadhyapak, Uttam Veda Vidyalaya and Vedarpit Jeevan Puraskar, which provide three, five and seven lakh rupees, respectively. Sanjaya Singhal, co-trustee of the foundation, said, "It is due to late Ashok Singhal's deep interest in the Vedic scriptures that has encouraged our foundation to start this award ceremony. This is the 6th year of Bharatratma Ashok Singhal Ved Awards."

अशोक सिंघल जी के नाम से जाना जाएगा लखनऊ का बर्लिंगटन चौराहा

अशोक सिंघल जी के नाम से जाना जाएगा लखनऊ का बर्लिंगटन चौराहा

Source https://www.jagran.com/uttar-pradesh/lucknow-city-now-the-burlington-chauraha-of-lucknow-will-be-known-as-ashok-singhal-the-executive-committee-of-the-municipal-corporation-had-announced-23099077.html

अयोध्या के श्रीराम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले और विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे स्वर्गीय अशोक सिंघल जी की याद अब लखनऊ में बनी रहेगी। शहर के पुराने चौराहों में शामिल बर्लिंगटन चौराहे का नाम अब अशोक सिंघल जी के नाम से होगा। स्वर्गीय सिंघल जी की 96वीं जयंती पर उनके नाम से चौराहे का नामकरण किया गया है। महापौर संयुक्ता भाटिया की अध्यक्षता वाली नगर निगम की कार्यकारिणी समिति ने अशोक सिंहल जी के नाम से चौराहे का नाम रखा था। सोमवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, पूर्व मंत्री व विधायक आशुतोष टंडन और महापौर ने एक आयोजन में अशोक सिंघल जी के नाम की पट्टिका लगाकर नामकरण किया। इस अवसर पर श्रीराम जन्म भूमि न्यास मूर्ति क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय जी भी मौजूद थे। महापौर ने बताया कि बर्लिंगटन चौराहे का लंबे समय से अंग्रेजी काल की दासता का प्रतीक माना जाता रहा है। इस नाम से मुक्ति दिलाने की मांग कई संगठन पूर्व से करते आ रहे हैं। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल जी का इस चौराहे से पुराना नाता रहा था। विहिप से जुड़े रहे पुरुषोत्तम भार्गव जी के घर आना जाना था और भार्गव निवास में ही ठहरा करते थे। वह स्वर्गीय भार्गव जी के घनिष्ठ मित्र थे। इसलिए अंग्रेजी हुकुमत की दासता के प्रतीक बर्लिंग्टन चौराहे का नाम बदलकर अशोक सिंघल चौराहा किया गया ।

अयोध्या में मंदिर आंदोलन के नायक रहे अशोक सिंहल व कल्याण सिंह के नाम पर वार्ड

अयोध्या में मंदिर आंदोलन के नायक रहे अशोक सिंहल व कल्याण सिंह के नाम पर वार्ड

Source https://www.jagran.com/uttar-pradesh/lucknow-city-ward-will-be-in-the-name-of-ashok-singhal-and-kalyan-singh-in-ayodhya-dm-sent-proposal-jagran-special-22863839.html

नगर निगम के नए परिसीमन व वार्डों के नामकरण में बड़ा बदलाव हुआ है। राम मंदिर आंदोलन के नायकों में शामिल विहिप के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंहल जी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी जैसी हस्तियों के नाम से भी यहां के वार्डों का नामकरण किया गया है। इसके अलावा मंदिर आंदोलन के सूत्रधारों में रहे महंत अभिरामदास जी के नाम से भी वार्ड बनाया गया है। अहम बात यह है कि यहां वार्डों के नामकरण में प्रयुक्त होने वाले नवाबकालीन नामों व शब्दावली को हटा दिया गया है। जिला प्रशासन ने नए सिरे से नगर निगम का परिसीमन कर इसे शासन को भेज दिया है, जिसमें कुल 60 वार्ड हैं। बहूबेगम वार्ड अब प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जी के नाम से जाना जाएगा। मंदिर आंदोलन के शलाका पुरुष महंत रामचंद्र परमहंस जी के नाम पहले से ही वार्ड है। परिवर्तन के अंतर्गत दिल्ली दरवाजा वार्ड का नाम बदल कर विक्रमादित्य नगर किया गया है। फतेहगंज वार्ड का परिवर्तित नाम जय प्रकाश नारायण वार्ड है। साहबगंज वार्ड, आचार्य नरेंद्रदेव तथा हैदरगंज वार्ड को समाप्त कर नानकपुरा कर दिया गया है। हैदरगंज वार्ड अब नानकपुरा के नाम से पहचाना जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, अयोध्या की तरह ही सरकार प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी वार्डों के नाम बदलने पर विचार कर रही है।

अशोक सिंघल जी के नाम से जाना जाएगा आगरा का घटिया आजम खान रोड

अशोक सिंघल जी के नाम से जाना जाएगा आगरा का घटिया आजम खान रोड

Source https://www.timesnowhindi.com/india/article/agras-ghatiya-azam-khan-road-renamed-after-former-vhp-leader-ashok-singhal/378153

आगरा शहर के घटिया आजम खान रोड अब अशोक सिंघल मार्ग के नाम से जाना जाएगा। रविवार को औपचारिक रूप से इस आजम खान मार्ग का नाम बदलकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेता

अशोक सिंहल जी के नाम पर कर दिया गया। इस मौके पर शहर के महापौर नवीन जैन ने नारियल फोड़कर और पट्टिका का लोकार्पण किया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे आगरा के

महापौर ने कहा कि गुलामी की याद दिलाने वाले स्थानों के नाम बदलने की प्रक्रिया का यह एक हिस्सा है। यह आगे भी जारी रहेगा।

नवीन जैन ने बताया कि विहिप के नेता अशोक सिंघल जी का जन्म इसी मार्ग पर स्थित एक घर में हुआ था। अशोक सिंघल जी को सम्मान देने के लिए घटिया आजम खान रोड का नाम बदला गया है।

 

राम मंदिर का निर्माण ‘देश की अस्मिता का प्रतीक’: भैय्याजी जोशी

राम मंदिर का निर्माण ‘देश की अस्मिता का प्रतीक’: भैय्याजी जोशी

Source https://www.punjabkesari.in/national/news/construction-of-ram-temple--symbol-of-country-s-identity--bhaiyyaji-joshi-1215436

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने शनिवार को कहा कि देश में अनेक ‘‘आक्रांता'' आए और अपने चिन्ह छोड़ गए जिन्हें देखकर ‘‘वेदना'' होती है तथा ऐसे में राम मंदिर का बनना ‘‘राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक'' है। जोशी ने कहा, ‘‘अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण केवल आस्था के एक केंद्र या एक और मंदिर की स्थापना नहीं बल्कि देश की अस्मिता और मानव कल्याण से जुड़ा विषय है।''

 

जोशी श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के विषय पर अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘देश में अनेक आक्रांता आए और वे अपने चिन्हों को छोड़ गए। उन चिन्हों देखकर वेदना होती है। ऐसा महसूस होता है कि क्या यह देश हमेशा आक्रांताओं से संघर्ष ही करता रहेगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘ राम मंदिर का बनना राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है।


संघ के सरकार्यवाह ने कहा, ‘‘ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण केवल एक मंदिर की स्थापना नहीं है। देश में भगवार राम के हजारों मंदिर हैं। इन मंदिरों की श्रृंखला में एक और मंदिर बन जाए, यही केवल अयोध्या आंदोलन का भाव नहीं रहा। '' उन्होंने कहा कि इस मंदिर के संदर्भ में भिन्न दृष्टि से देखने और भगवान राम के जीवन को महसूस करने की जरूरत है जो अनुकरणीय आदर्श हैं। आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण एक नए परिवर्तन की शुरूआत है।

RSS के सरकार्यवाह भैया जी जोशी ने कहा- मंदिर निर्माण आंदोलन का आरंभ है, अंत नहीं

RSS के सरकार्यवाह भैया जी जोशी ने कहा- मंदिर निर्माण आंदोलन का आरंभ है, अंत नहीं

Source https://m.jagran.com/delhi/new-delhi-city-rss-leader-suresh-bhaiyyaji-joshi-said-ram-mandir-is-just-starting-of-protest-not-end-20581657.html?itm_source=msite&itm_medium=homepage&itm_campaign=p1_component

अयोध्‍या में भव्‍य राममंदिर निर्माण की तैयारियों के बीच राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी ने कहा कि मंदिर निर्माण, आंदोलन का आरंभ है, अंत नहीं। यह भारत के नये युग की शुरुआत है। इसे महज मंदिर भर मानना भी उचित नहीं है। यह राष्‍ट्रीय अस्‍मिता का प्रतीक है। यह सैकड़ों सालों की गुलामी की मानसिकता की बेड़ियों को तोड़ते हुए करोड़ों हिंदुओं में ऊर्जा भरेगा और आदर्शों की प्रेरणा देने वाला केंद्र बनेगा।

वेबिनार के द्वारा कई रामभक्तों से हुए मुखातिब 

वह अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा आयोजित वेबिनार में सैकड़ों रामभक्‍तों से मुखातिब थे। उन्‍होंने कहा कि यहां से पूरा विश्‍व एक नए भारत को देखेगा। हम विस्‍तारवादी सोच के लोग नहीं हैं। हम विश्‍व बंधुत्‍व व मानव कल्‍याण की बात करने वाले लोग हैं। पर यह दुर्बल नहीं, बल्‍कि शक्‍तिशाली व दायित्‍व का निर्वहन करने वाला भारत ही कर सकेगा। जो आसुरी शक्‍तियों से संघर्ष करते हुए पूरे विश्‍व को शांति का चिंतन देगा।

राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक  

उन्‍होंने कहा कि जो-जो भी आक्रांता आएं अपने चिन्‍ह छोड़कर गए। आक्रांताओं के नाम से मार्ग, उनके बनाए स्‍मारक और उनकी प्रतिमाओं को देखकर वेदना होती है कि क्‍या यहीं स्‍थिति रहेगी। आक्रांताओं के साथ संघर्ष करते हुए पराजित होते रहेंगे। अयोध्‍या में भी खड़ा ढांचा इसी बात का स्‍मरण करा रहा था कि तुम पराजित हो। ढांचा हटना और उस स्‍थान पर राम मंदिर का निर्माण राष्‍ट्रीय दृष्‍टिकोण में राष्‍ट्रीय अस्‍मिता का प्रतीक है। आने वाली सैकड़ों पीढ़ियों को यह उर्जा प्रदान करता रहेगा।

राम ने शान में मार्यादा रखी थींं

स्‍वर्गीय अशोक सिंघल के नेतृत्‍व में यह एक चरण पूरा हुआ। यह प्रारंभ है। मानव स्‍वरूप में जन्‍म लेकर राम ने हर रिश्‍तें और शासन में मर्यादा रखी। अपने जीवन से आदर्श स्‍वरूप प्रस्‍तुत किए। सही रूप में यह मंदिर सब प्रकार से आदर्शों की प्रेरणा देने का केंद्र करेगा।  इस मौके पर उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वर्तमान नेतृत्‍व में देश अंतरराष्‍ट्रीय पटल पर प्रभावी भूमिका में आया है और देश के लोग इसे लेकर आश्‍वस्‍त है।

वेद में विज्ञान भी है और ज्ञान भी : सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

वेद में विज्ञान भी है और ज्ञान भी : सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

Source https://raptisimran.page/article/ved-mein-vigyaan-bhee-hai-aur-gyaan-bhee-sarasanghachaalak-do-mohan-bhaagavat/f8CYLn.html

अशोक सिंघल संकल्प था कि समान्य जन तक वेद का ज्ञान पहुंचे तथा अंग्रेजों के कालखंड में वेद के संबंध फैली सब भ्रांतियां दूर हों

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष के सभी लोगों के नित्य जीवन का वेदों से सम्बन्ध है। वेद का अर्थ जानना होता है। जिसको हम साइंस कहते हैं वो बाहर की बातें जानना है, वेद में विज्ञान भी है और ज्ञान भी, वह भी है जो समझ में नहीं आता। वेदों का ज्ञान अपने अंदर की खोज करता है। वेद समाज को उन्नत करते हैं, समाज को उन्नत धर्म करता है और धर्म का मूल वेद हैं। अध्यात्म विज्ञान का विरोधी नहीं हो सकता, क्योंकि अध्यात्म में विज्ञान से भी ज्यादा अनुभूति है। हमारे यहां अध्यात्म और विज्ञान दोनों का विचार पहले से हुआ है। वेदों में यह दोनों बातें हैं इसलिए वेदों का महत्व ज्यादा है। तीन गुणों से सम्बन्धित सृष्टि का विचार वेद में है। उक्त विचार विश्व हिन्दू परिषद् व अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) नई दिल्ली में चल रहे में छह दिवसीय चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ कार्यक्रम के तीसरे दिन शुक्रवार को यजमान के नाते आमंत्रित डॉ. मोहन भागवत ने प्रकट किए।

सरसंघचालक ने बताया कि जो भौतिक ज्ञान आज की दुनिया को प्राप्त है उसको सम्भालने के लिए जो आंतरिक ज्ञान चाहिए जिसके अभाव में युद्ध हो रहे हैं, जिसके अभाव में विनाश और पर्यावरण की हानि हो रही है। उस ज्ञान को यह पूर्णतया देने वाला वेद ज्ञान हमको फिर अपने परिश्रम से पुनर्जीवित  करना पड़ेगा। वेदों का पुर्नतेजस्वीकरण हिन्दुओं की नहीं पूरी मानवजाति के जीवन का प्रश्न है, यह कोई पूजा कर्मकांड की सीमित बात नहीं है। वेदों के पुर्नतेजस्वीकरण से पूरे संसार का कल्याण होगा इसके लिए हम सबको समपर्ण करना पड़ेगा।

महायज्ञ के आयोजक अशोक सिंघल फाउंडेशन के प्रमुख श्री महेश भागचंदका ने इस अवसर पर कहा कि माननीय अशोक सिंघल जी की अंतिम इच्छा रही कि वेदों को घर-घर तक पहुंचाना चाहिए। विश्व शांति के लिए लोगों को वेदों को सुनना चाहिए। युवा पीढ़ी को वेदों की जानकारी हो इसके लिए विश्व स्तर का चारों वेदों का स्वाहाकार दिल्ली में किया जाए। उनके रहते हुए 2015 में यह योजना बनी थी लेकिन चार दिन पहले उनका शरीर शांत हो गया था। इस कार्यक्रम को इसको स्थगित कर दिया था। अब चार पर्व के पश्चात हम इस कार्यक्रम को कर रहे हैं और इसमें दक्षिण भारत से रामानुजाचार्य चिन्जय स्वामी जी की देखरेख में 60 आचार्यों के साथ चारों वेदों का स्वाहाकार हो रहा है। 9 तारीख से यह स्वाहाकार शुरु हुआ और 14 तारीख को सुबह इसकी पूर्णाहुति किया गया। इसमें समाज की सभी वर्गों के व्यक्तियों को शामिल हुए चाहे वह राजनीति में हों, सामाजिक हों, धार्मिक हों, सब लोगों को शामिल हुए। अधिक युवा ने भाग लिया। एक लाख लोग सोशल मीडिया से जुड़े कर इस यज्ञ को देखा।

सरकार्यवाह श्री भय्याजी जोशी भी सत्र में आएं। गृहमंत्री अमित शाह व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इसमें सम्मिलित हुए। सभी संत-महंतो के साथ देश विदेश से यजमान इस आयोजन में शामिल हुए। इसका उद्देश्य की वह भी इस तरह की यज्ञ को अपने-अपने स्थान में जाकर कार्यक्रम करेंगे।

इससे पूर्व के सत्र में विश्व हिन्दू परिषद की प्रबन्ध समिति के सदस्य दिनेश चन्द्र ने बताया कि यहां चारों वेदों का अलग-अलग कुंडों पर सस्वर शुद्ध उच्चारण करते हुए एक-एक मंत्र को शुद्ध सस्वर उच्चारण करते हुए यज्ञ कुंड में आहुति डाली जा गई, इसलिए इसको चर्तुवेद स्वाहाकार महायज्ञ कहा गया है। 14 अक्टूबर को महापूर्ण यज्ञ की पूर्ण आहुति की गई। वहीँ त्रिदंडी स्वामी रामानुजाचार्य जी ने वेद के बारे में बताई कि वेद ऋषियों ने ईश्वर का साक्षात्कार किया अर्थात आत्मअनुभव किया उन अनुभव करने वालों के प्रसंग उन्होंने बताए और उस अनुभूति में से अनेक वेदों को कंठस्थ करके उस समय की अनुभूति को प्राप्त कर रहे हैं। पूज्य अशोक सिंघल जी का जो संकल्प था कि वेद समाज में फिर से आएं, समान्य जन तक वेद का ज्ञान पहुंचे तथा अंग्रेजों के कालखंड में वेद के संबंध फैली सब भ्रांतियां दूर हों।

सत्र में पूज्य संत रूपेंद्रानाथ हरिद्वार से, दिल्ली से पूज्य सुधांशु जी महाराज महायज्ञ में आए। यजमानों में डॉ. सुब्रमणयम स्वामी, श्री रामलाल, विहिप के अंतराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री आलोक कुमार भी उपस्थित थे।

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का हुआ भव्य समापन

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का हुआ भव्य समापन

Source https://www.nayaindia.com/life-style/religious-practice/chaturveda-swahakar-mahayagya-2608.html

नई दिल्ली। चारों वेदों का शुद्ध ज्ञान-विज्ञान संपूर्ण विश्व तक पहुंचाने के लिए दिल्ली में आयोजित चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का भव्य समापन सोमवार को हुई। 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक चले इस महायज्ञ का आयोजन विश्व हिन्दू परिषद व अशोक सिंघल फाउंडेशन एवं झण्डेवाला देवी मंदिर द्वारा किया गया। इसमें करीब 50 वेदपाठी पंडित चारों वेदों के 29 हजार से अधिक मंत्रों को शुद्ध उच्चारण के संग पढ़ें गए। इस कार्यक्रम में कई देशों एवं देश के सभी प्रांतों से वेदों के मानने वाले और सनातन धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु शामिल हुए। श्रीश्रीश्री त्रिदंडी स्वामी रामानुजाचार्य जियर चिन्न स्वामी जी ने अपने 61 वेदपाठियों के साथ विस्तार पूर्वक वेद से सम्बन्धित छह दिवसीय आयोजन में होने वाली सम्पूर्ण प्रक्रिया पूरी की। उन्होंने वेद मंत्र कंठस्थ वेदपाठी, विद्वानों द्वारा अलग-अलग यज्ञ कुंडों में शुद्ध सस्वर उच्चारण करते हुए यज्ञ में पूर्ण आहुति देकर वेद भगवान यज्ञ का समापन वैदिक विधि विधान पूर्वक किया।

विश्व हिन्दू परिषद की प्रबन्ध समिति के सदस्य दिनेश चन्द्र ने बताया कि यह यज्ञ विश्व के कल्याण के लिए है। वेद के विषय में अनेक भ्रांतियां फैली हैं जैसे महिलाएं वेद पढ़-सुन नहीं सकतीं, कोई विशेष वर्ग नहीं सुन सकता, जबकि यह सच नहीं है। उन्होंने बताया कि यजुर्वेद के 26वें मंडल के दूसरे अध्याय में स्पष्ट उल्लेख है कि वेदों का ब्रह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, नारी, सेवक कोई भी श्रवण, अध्ययन और पठन कर सकता है और किसी को भी उसका श्रवण करा सकता है। वेद के बारे में फैले भ्रम इत्यादि दूर करने के लिए दिल्ली में पहली बार ऐसा महायज्ञ हो रहा है। सामाजिक समरसता की ⊃2;ष्टि से भी यह ऐतिहासिक है, इसमें झुग्गियों से लेकर महलों तक रहने वाले विभिन्न समाज नेता, धर्म नेता, राज नेता, सभी को बुला गया है वे सब शामिल हुए। दिनेश जी ने कहा कि स्वामी विवेकानन्द वेदों को समाज का दर्पण समझने की कला मानते थे और उन्होंने कहा कि यदि आज ‘हमारी संस्कृति बचेगी तभी हमारा भविष्य और भविष्य की संततियां बचेगी।’

इस भव्य आयोजन में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, नार्वे, थाईलैण्ड, सिंगापुर सहित अनेक देशों के वेद प्रेमी भक्तगण शामिल हुए तथा उन्होंने अपने-अपने देशों में चतुर्वेद महायज्ञ करने के लिए संतों से आग्रह किया। हॉलेण्ड के प्रिंस लुईस सहित सभी विदेशी अतिथियों ने वैदिक गणवेश में उपस्थित होकर पूजा अर्चना की। ऋषिकेश से आए चिदानन्द जी महाराज ने इस महायज्ञ का उद्देश्य बताते हुए कहा कि “ग्लोबल वामिर्ंग के कारण विश्व में वैष्मयता बढ़ रही है, प्रकृति में प्रतिकूलता बढ़ रही है तो हम ऐसा मानते हैं कि यज्ञ के माध्यम से धरती, अम्बर, अग्नि, जल, वायु, निहारिका, नक्षत्रों का संतुलन बनेगा और प्राणियों में सदभावना आती है।

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ में मनोज तिवारी शामिल, लिया वेद भगवान का आशीर्वाद

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ में मनोज तिवारी शामिल, लिया वेद भगवान का आशीर्वाद

Source https://dardedelhi.page/article/chaturved-svaahaakaar-mahaayagy-mein-manoj-tivaaree-shaamil-liya-ved-bhagavaan-ka-aasheervaad/qqCJtd.html

नई दिल्लीः चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का आयोजन 9 अक्टूबर से लेकर 14 अक्टूबर तक किया गया।  जिसका आयोजन झण्डेवाला मंदिर के सौजन्य से श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिरला मंदिर) मंदिर मार्ग नई दिल्ली पर  किया गया। आज सोमवार को  पूर्ण आहूति यज्ञ के साथ इसका समापन किया गया। इस यज्ञ का आयोजन 9 अक्टूबर बुधवार को शाम 5:00 बजे से रात 8:00 बजे तक और 10 अक्टूबर से लेकर 13 अक्टूबर रविवार तक प्रातः 9:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक एवं शाम 5:00 से लेकर रात 8:00 बजे तक किया गया। इस यज्ञ में चारों वेदों के वेद मत्रों का जाप किया गया और देश के अनेक विद्धवान संत/ महात्माओं ने शामिल होकर इस यज्ञ को सफल बनाया।

14 अक्टूबर सोमवार आज प्रातः 9:00 पूर्ण आहुति यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिसमें देश की राजधानी के साथ-साथ दूर-दराज से प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद मनोज तिवारी भी यज्ञ में शामिल हुए। इस मौके पर सांसद मनोज तिवारी ने पूर्णाहुति यज्ञ में शामिल होकर  चारों वेदों के वेद मंत्रों का उच्चारण सुनकर अपने को मंत्रमुग्ध कर लिया और पहलीवार चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ में शामिल हो वेद भगवान का आशीर्वाद लिया। सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि मैं इस महायज्ञ में शामिल होकर धन्य हो गया हूं। उन्होंने कहा कि गर्व हैं मुझे अपने भारत देश पर जोकि संतों/महात्माओं की कर्मभूमि कहलाता है। जिनके प्रताप से  ये देश दिनोदिन कामयाबी के शिखर पर अग्रसर है।

इस यज्ञ में भाजपा महिला नेता भी शामिल रही। इसके तहत जनता कॉलोनी वार्ड की महिला मोर्चा अध्यक्ष ज्योति सागर ने इस महायज्ञ में शामिल होकर वेद भगवान का आशार्वाद लिया। ज्योति सागर ने बताया कि उनके पति हेमन्त कुमार इस यज्ञ में सहयोगी के रुप में शामिल रहे जिसके कारण उन्हें भी इस यज्ञ का फल प्राप्त हुआ। भी हिचक में शामिल हुई और वेद भगवान का दर्शन कर वेद मंत्र सुन वेद भगवान का आशीर्वाद लिया इस कार्यक्रम का आयोजन झंडेवाला मंदिर भी मंदिर द्वारा कराया गया

वेद समाज को उन्नत करते हैं इसलिए इसके पुर्नतेजस्वीकरण की है आवश्यकता – मोहन भागवत

वेद समाज को उन्नत करते हैं इसलिए इसके पुर्नतेजस्वीकरण की है आवश्यकता – मोहन भागवत

Source https://hindi.theprint.in/india/mohan-bhagwat-said-on-vhp-program-that-we-have-to-re-invent-ved/90442/

नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद और अशोक सिंघल फाउंडेशन द्वारा बिड़ला मंदिर में आयोजित चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ में शुक्रवार शाम संघ प्रमुख मोहन राव भागवत भी शामिल हुए. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारतवर्ष के सभी लोगों के नित्य जीवन का ‘वेदों’ से सम्बन्ध है.

वेद का अर्थ जानना होता है. जिसको हम साइंस कहते हैं वो बाहर की बातें जानना है, वेद में विज्ञान भी है और ज्ञान भी, वह भी है जो समझ में नहीं आता. वेदों का ज्ञान अपने अंदर की खोज करता है. वेद समाज को उन्नत करते हैं, समाज को उन्नत धर्म करता है और धर्म का मूल वेद हैं.’

भागवत ने आगे कहा, ‘विभिन्न सम्प्रदाय के संतो ने यह भी बताया कि वेद धर्म मूल कैसे है. रूढ़ी को रीति हमने बना दिया. यह हमारा दोष है, इसमें वेदों का कोई दोष नहीं है. वेदों के ज्ञान के कारण ही भारत कम से कम 3 हजार वर्ष तक विश्व गुरु रहा. लेकिन इसके अभाव के कारण ही युद्ध हुए, इस अभाव के कारण ही विनाश हुआ और पर्यावरण को नुकसान हुआ है. इन्ही वेदों के ज्ञान को हमको अपने परिश्रम से फिर से पुनर्जीवित करना पड़ेगा. हिन्दू धर्म नहीं पूरे मानव जाति के जीवन का प्रश्न मानकर वेदों को समझना पड़ेगा. फिर से उसे तेजस्वी करन करना पड़ेगा. ये काम सिर्फ आचार्यों को नही पूरे समाज के करना चाहिए.

वेद में विज्ञान और धर्म दोनों

संघ प्रमुख मोहनराव भागवत ने कहा, ‘वेदों के संदर्भ से ही सब चलता आ रहा है. विचारधारा भी वैदिक और अवैदिक होती है. कोई मानते है कोई नहीं मानते है. आज का दौर विज्ञान का ज़माना है. लेकिन वेदों का अर्थ वही होता है जो पहले था. आज हम जिसको विज्ञान कहते है वह बाहर की बाते जानता है . इसी के आधार पर हमारा आज भौतिक जीवन चल रहा है. लेकिन वेद में यह भी है औऱ जो इससे समझ मे नहीं आता वह भी है. वह ध्यान है. ध्यान अपने अंदर की खोज करता है. विज्ञान अपने बाहर की खोज करता है. दोनो को जानने की ज़रूरत रहती है.’

‘वेदों में दोनों का ज्ञान होने के कारण समाज को बढ़ाते है. समाज की धारणा तय करते है. समाज को जोड़ते और उन्नत करते है. समाज को जोड़ने औऱ उन्नत करने वाला धर्म होता है. वेदों को धर्म का मूल कहा गया है.’

सरसंघचालक भागवत ने यह भी बताया कि जो भौतिक ज्ञान आज की दुनिया को प्राप्त है उसको सम्भालने के लिए जो आंतरिक ज्ञान चाहिए जिसके अभाव में युद्ध हो रहे हैं, जिसके अभाव में विनाश और पर्यावरण की हानि हो रही है. उस ज्ञान को यह पूर्णतया देने वाला वेद ज्ञान हमको फिर अपने परिश्रम से पर्नजीवित करना पड़ेगा.

वेदों का पुर्नतेजस्वीकरण हिन्दुओं की नहीं पूरी मानवजाति के जीवन का प्रश्न है, यह कोई पूजा कर्मकांड की सीमित बात नहीं है. वेदों के पुर्नतेजस्वीकरण से पूरे संसार का कल्याण होगा इसके लिए हम सबको समपर्ण करना पड़ेगा.

महायज्ञ के आयोजक अशोक सिंघल फाउंडेशन के प्रमुख श्री महेश भागचंदका ने इस अवसर पर कहा, ‘अशोक सिंघल की अंतिम इच्छा रही कि वेदों को घर-घर तक पहुंचाना चाहिए. विश्व शांति के लिए लोगों को वेदों को सुनना चाहिए.’

भागचंदका ने बताया कि किस तरह युवा पीढ़ी को वेदों की जानकारी हो इसके लिए विश्व स्तर का चारों वेदों का स्वाहाकार दिल्ली में किया जाए. इसके लिए योजनाएं बनती रहीं थीं. अशोक सिंघल के रहते हुए 2015 में यह योजना बनी थी लेकिन चार दिन पहले उनका शरीर शांत हो गया था. इस कार्यक्रम को इसको स्थगित कर दिया था.

अब चार पर्व के पश्चात हम इस कार्यक्रम को कर रहे हैं और इसमें दक्षिण भारत से रामानुजाचार्य चिन्जय स्वामी जी की देखरेख में 60 आचार्यों के साथ चारों वेदों का स्वाहाकार हो रहा है. 9 तारीख से यह स्वाहाकार शुरु हुआ है और 14 तारीख को सुबह इसकी पूर्णाहुति होगी. इसमें समाज की सभी वर्गों के व्यक्तियों को बुलाया है चाहे वह राजनीति में हों, सामाजिक हों, धार्मिक हों, सब लोगों को आमंत्रित किया है. इसमें अधिक से अधिक युवा भाग लें इसके लिए सोशल मीडिया में भी इसको प्रमोट किया है. आज एक लाख लोग जो सोशल मीडिया से जुड़े हुए हैं वो इस यज्ञ को देख रहे हैं.

बता दें कि इस कार्यक्रम में सरकार्यवाह श्री भय्याजी जोशी शनिवार सुबह के सत्र में आएंगे. गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकते हैं.

संघ के सर कार्यवाह व गृहमंत्री अमित शाह ने संतो से आर्शीवाद प्राप्त किया

संघ के सर कार्यवाह व गृहमंत्री अमित शाह ने संतो से आर्शीवाद प्राप्त किया

Source http://www.newbharatlive.com/sangh-k-sir/

नई दिल्ली:बिड़ला मंदिर में आयोजित चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ में संघ के सर कार्यवाह व गृहमंत्री अमित शाह पहुंचकर संतो का आर्शीवाद प्राप्त किया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह भैय्या जोशी ने कहा  कि वेदों में जो ज्ञान सम्पदा है उसे हम दुनिया में देने को निकले हैं हमने कभी भी ज्ञान को अपने तक सीमित नहीं रखा। प्राचीन काल से हम देखते आ रहे हैं कि हम लोग कहीं भी कभी भी कुछ लेने के लिए नहीं बल्कि देने के लिए गए हैं। भारत हमेशा से ज्ञान को बांटने वाला देश रहा है। विश्व का जो समाज सकारात्मक सोचता है वह भारत की इस पुष्य संपदा को नमन करता है।
वह मंदिर मार्ग स्थित श्री लक्ष्मी नारायण (बिड़ला) मंदिर में आयोजित चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ के ’चैथे’ दिन बतौर यजमान पहुंचे थे। गृहमंत्री अमित शाह भी पहुंचे और यज्ञ में भाग लिया। भैय्या जोशी ने कहा कि लोग कहते हैं कि भविष्य भारत का है। भारत अपने श्रेष्ठ विचारों, परंपराओं और मूल्यों को लेकर आज विश्व के सामने बहुत सामथ्र्य के साथ प्रस्तुत हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्राचीर परंपरा चिंतन वेदों में समाविष्ट है। ऐसी बहुत संपदा ज्ञान के रूप में हमें प्राप्त हुई। हम इसके उत्तराधिकारी बने हैं। ईश्वरीय संकेतों के अनुसार कलयुग के इस चरण में भारत समेत विश्व में जो परिवर्तन प्रारंभ हुआ है। हम इसके साक्षी बने हैं। यह भी भाग्य है, लेकिन हम इस परिवर्तन के मूक साक्षी नहीं बल्कि इस परिवर्तन को गति देने का जो-जो प्रयास होगा हम उसके भागीदार बनेंगे।
उन्होंने कहा कि हमें जो भाग्य से मिला है, उसका अहंकार तो नहीं पर आनन्द जरूर है। इसके साथ ही ये देने की प्रक्रिया को अगर निरंतर चलाना है तो देने वालों का सामथ्र्य बढ़ना चाहिए। अन्यथा देने के लिए क्या है। देना केवल वाणी या ग्रंथों से नहीं होती। श्रेष्ठ जीवन के मूल्यों को लेकर आचरण करने वाला समाज ही दूसरों को कुछ दे सकता है। कभी सुनते हैं कि देश पर कभी अंग्रेजों का राज था। पर एक समय ऐसा आया जब बाबा रामदेव इंग्लैंड गए तो राजमहल बुलाकर रानी ने कहा कि हमें कुछ सीखाइए। तो बाबा रामदेव ने कहा कि आपने हमपर राज किया है। हम आपके श्वास पर राज करेंगे। पर इसमें विचार और आचरण सकारात्मक है। भारत को किसी को हराने की आवश्यकता नहीं है। वेदों में जो ज्ञान सम्पदा है उसे हम दुनिया में देने को निकले हैं हम किसी का प्रवाह नहीं करेंगे।  इस मौके पर राघावानंद महाराज, रामरंजन दास महाराज, स्वामी अवधेश दास, संत त्रिलोचन दास जी महाराज, योगी अर्पित दास, विहिप संरक्षक दिनेश चन्द्र, कोटेश्वर जी, सांसद मीनाक्षी लेखी, भाजपा के नेता सुधांशु मित्तल संकल्प संस्था के संचालनकर्ता संतोष तनेजा, क्षेत्रीय संगठन मंत्री मुकेश खाण्डेकर, विहिप के प्रांत कार्याध्यक्ष वागीश, प्रांत मंत्री बचन सिंह सहित अन्य उपस्थित थे।

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का अंकुरार्पणम कार्यक्रम भव्यता से संपन्न

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का अंकुरार्पणम कार्यक्रम भव्यता से संपन्न

Source https://www.pressnote.in/National_News_404676.html

नई दिल्ली।  चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ का अंकुरार्पणम कार्यक्रम बुधवार को भव्यता से दिल्ली के लक्ष्मी नारायण (बिड़ला मंदिर) में संपन्न हुआ. हैदराबाद के रामानुजाचार्य पूज्य चिन्न जीयर स्वामी जी के सानिध्य में 50 से अधिक वेद पंडितों व स्वामी राघवानंद जी महाराज जैसे अनेक श्रेष्ठ संतों के साथ कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह मा. डॉ कृष्ण गोपाल, विहिप केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य श्री दिनेश  चन्द्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिल्ली प्रान्त संघ चालक श्री कुलभूषण आहूजा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने भाग लिया. कार्यक्रम से पूर्व मंदिर (बिड़ला मन्दिर) के चारों और एक विराट वेद यात्रा भी निकाली गई. जिसमें बड़ी संख्या में पूज्य संतों महिलाओं और बच्चों ने भाग लिया.

ज्ञातव्य रहे कि वेदों के ज्ञान विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने हेतु विश्व हिन्दू परिषद के तत्वावधान में अशोक सिंहल फाउंडेशन व झंडेवालान देवी मंदिर के सहयोग से चतुर्वेद स्वाहाकार महा यज्ञ का लक्ष्मी नारायण (बिड़ला मंदिर) में आयोजित किया गया है. इस छह दिवसीय यज्ञ के आयोजन में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अर्थवेद के लगभग 29 हजार से अधिक मन्त्रों का उच्चारण हैदराबाद के रामानुजाचार्य पूज्य चिन्न जीयर स्वामी के सानिध्य में 50 से अधिक वेद पंडितों द्वारा संपन्न किया जाएगा। इस दौरान रोजाना जीयर स्वामी प्रवचन भी देंगे तथा इसमें देश भर से अनेक संत, महंत, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व राजनैतिक जगत के अनेक गणमान्य लोग भाग लेंगे।

वेदों के बारे में जागृति फैलाने के लिए वेद रथ यात्रा:विहिप

वेदों के बारे में जागृति फैलाने के लिए वेद रथ यात्रा:विहिप

Source https://hindi.asianetnews.com/national-news/vihip-to-organise-workshop-for-teaching-of-vedas-pz5y1b

विश्व हिन्दू परिषद ने पूरे देश में वेदों के प्रचार प्रसार के जरिए ‘‘समरता’’को बढ़ावा देने की मुहिम शुरू की है। इसमें एक ओर रथयात्रा एवं यज्ञों का आयोजन तो दूसरी ओर वेद विद्यालय की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है।  मोहन भागवत, सर कार्यवाह भैयाजी जोशी के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के शामिल होने का कार्यक्रम है।

नई दिल्ली: विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने पूरे देश में वेदों के प्रचार प्रसार के जरिए ‘‘समरता’’को बढ़ावा देने की मुहिम शुरू की है जिसमें एक ओर रथयात्रा एवं यज्ञों का आयोजन तो दूसरी ओर वेद विद्यालय की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है।

मोहन भागवत, भैयाजी जोशी जैसे लोग होंगे शामिल

विहिप के संरक्षक दिनेशचंद्र ने बताया, ‘‘ इस श्रृंखला में नई दिल्ली के बिड़ला मंदिर के प्रांगण में 9 से 14 अक्टूबर तक ‘‘चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ’’ का आयोजन किया गया है । ’’ इसे विश्व हिन्दू परिषद, अशोक सिंघल फाउंडेशन तथा माता मंदिर झंडेवाला आयोजित कर रहे हैं । विहिप के प्रदेश कार्याध्यक्ष वागीश इस्सर ने बताया कि इसमें राष्ट्रीय स्वसंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, सर कार्यवाह भैयाजी जोशी के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के शामिल होने का कार्यक्रम है।

वेदों के जरिए समाज में को बढ़ावा देगी विश्व हिन्दू परिषद

इसमें संघ से जुड़े विद्या भारती, संस्कार भारती, सेवा भारती, भारतीय मजदूर संघ हिस्सा ले रहे हैं । विहिप के पदाधिकारियों ने बताया कि परिषद एवं अशोक सिंघल फाउंडेशन ने गुरूग्राम में वेद विद्यालय स्थापित किया है। इसका मकसद बच्चों से लेकर बड़ों तक वेद के बारे में जानकारी देना एवं इस बारे में उन्हें जागृत करना है। विहिप ने वेदों के बारे में जागृति फैलाने के लिए ‘वेद रथ यात्रा’ निकाल रही है।

विश्व हिन्दू परिषद के एक पदाधिकारी ने बताया, ‘‘हमारा प्रयास है कि पूरे भारत में वेदों का ज्ञान दिया जए । लोग पहले वेद को देखें, फिर सुने, उसके बाद पढ़े और फिर जीवन में आत्मसात करें । ’’

Mahesh Bhagchandka Of Ashok Singhal Foundation Addresses A Press Conference On 6-Day Programme Chaturved Swahakaar Maha Yagna

Mahesh Bhagchandka Of Ashok Singhal Foundation Addresses A Press Conference On 6-Day Programme Chaturved Swahakaar Maha Yagna

Source https://savedelete.com/photos/mahesh-bhagchandka-of-ashok-singhal-foundation-addresses-a-press-conference-on-6-day-programme-chaturved-swahakaar-maha-yagna/219890/

New Delhi: Mahesh Bhagchandka of Ashok Singhal foundation addresses a press conference on 6-day programme "Chaturved Swahakaar Maha Yagna" to be organised by the Vishwa Hindu Parishad to pupolarise vedic teachings, in New Delhi on Oct 7, 2019. (Photo: IANS)

All eyes on RSS chief’s address

All eyes on RSS chief’s address

Source https://www.tribuneindia.com/news/archive/nation/all-eyes-on-rss-chief-s-address-844020

NEW DELHI: Ever since the BJP rose to power at the Centre, curiosity and interest about the functioning and views of its ideological fountainhead has increased tremendously and all eyes are now on Rashtriya Swayamsevak Sangh sarsanghchalak Mohan Bhagwat?s Vijayadashmi address in Nagpur on Tuesday.

Vibha Sharma

Tribune News Service

New Delhi, October 7

Ever since the BJP rose to power at the Centre, curiosity and interest about the functioning and views of its ideological fountainhead has increased tremendously and all eyes are now on Rashtriya Swayamsevak Sangh sarsanghchalak Mohan Bhagwat?s Vijayadashmi address in Nagpur on Tuesday. While essence of his speeches, as swayamsevaks insist, is ?essentially social?, its underlying political nuances are hard to miss.

Over the past years, Bhagwat has been making concerted efforts to ?dispel misconceptions? and clear the air about the image of what is otherwise perceived as a hardcore right-wing orgnisatation. It remains to be seen what new insights the Sangh supremo offers in the presence of Shiv Nadar, founder and chairman of HCL and Shiv Nadar Foundation, the chief guest for the day.

The guests at the RSS events are also becoming the cause of much debate. Former President Pranab Mukherjee created a sensation when he accepted the Sangh?s invitation last year. His calling the RSS founder Keshav Baliram Hedgewar ?a great son of Mother India? also received much criticism from within the Congress. The RSS? image as a closed organisation has made its functionaries to launch concerted efforts to dispel through dialogue and by inviting guests.

Mahayagya to promote Vedas

VHP is organising a week-long ?Chaturveda Swahakar Mahayagya? to promote ancient ?vedic? knowledge contained in the four Vedas beginning October 9. RSS chief Mohan Bhagwat will be one of the ?yajmaans? (ritual patrons) for the ceremonies

चतुर्वेद स्वाहाकार' महायज्ञ में शामिल होंगे मोहन भागवत

चतुर्वेद स्वाहाकार' महायज्ञ में शामिल होंगे मोहन भागवत

Source https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/delhi/other-news/mohan-bhagwat-will-join-chaturveda-swahakar-mahayagya/articleshow/71475151.cms

सूरज सिंह

चारों वेदों का शुद्ध ज्ञान-विज्ञान संपूर्ण विश्व तक पहुंचाने के लिए दिल्ली में चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ आयोजित हो रहा है। 9 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक लक्ष्मी नारायण मंदिर के पीछे प्रांगण में यज्ञशाला के पास विशाल पंडाल भी लग गया है। विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) के प्रवक्ता विनोद बंसल ने ‘सान्ध्य टाइम्स’ को बताया कि करीब 50 वेदपाठी पंडित चारों वेदों के 29 हजार से अधिक मंत्रों को शुद्ध उच्चारण के संग पढ़ेंगे। सुबह 9 से 12 बजे और शाम 5 से 8 बजे तक चारों वेदों के यज्ञ कुंडों में आहुतियां दी जाएंगी। प्रवचन भी होंगे। इन दिनों में हॉलैंड के राजा लुइश, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों से आए प्रतिनिधिमंडल भी हिस्सा लेंगे।

कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह भैया जी जोशी, सहसरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, जूना पीठाधीश्वर महंत अवधेशानंद गिरी, परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद, रमणरेती मथुरा के कर्षण गुरु शरणानंद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा 2015 में अशोक सिंघल ने शरीर पूरा होने से पहले तैयार की थी, उस दौर में उनकी तबीयत बिगड़ी और प्रोग्राम स्थगित करना पड़ा। इसका मकसद वेदों के ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और दर्शन सभी तक पहुंचाना है। विश्व हिन्दू परिषद और अशोक सिंघल फाउंडेशन मिलकर महायज्ञ करवा रहा है। यज्ञ के जरिए ऐसी भ्रांतियों को भी दूर किया जाएगा, जिसमें कहा जाता है कि वाल्मीकि, जाटव या महिलाएं आदि पूजा में भाग नहीं ले सकतीं। वेदों का ज्ञान संपूर्ण विश्व के लिए है।

बीएल शर्मा प्रेम की श्रद्धांजलि सभा

आज दोपहर 3 बजे से 4 बजे तक गुरुद्वारा रकाबगंज में गुरुगोविंद सिंह सभागार में पूर्व सांसद बीएल शर्मा ‘प्रेम जी’ की श्रद्धांजलि सभा आयोजित होगी। पूर्वी दिल्ली से दो बार बीजेपी के सांसद रहे बीएल शर्मा का निधन 28 सितंबर को हुआ था। वे वीएचपी के केंद्रीय मंत्री, कुशल संगठक, अखंड हिन्दुस्तान परिषद और मोर्चा के संस्थापक थे।

जल्द बने संत रविदास मंदिर

वीएचपी का उच्च स्तरीय प्रतिनिधि मंडल, कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार के नेतृत्व में आज शाम 7 बजे केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी से तुगलकाबाद स्थित संत रविदास मंदिर मामले में मुलाकात करेंगे। विनोद बंसल ने बताया कि मीटिंग में हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध आदि धर्मों के प्रतिनिधि भी होंगे। केंद्रीय मंत्री से आग्रह करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशानुसार संत रविदास मंदिर के मामले में जल्द एनओसी दी जाए। सरकार की ओर से मंदिर का निर्माण हो। वहां बनी जोहड़ में पूज्य संतों की समाधि भी हैं, जिसे ठीक कराने की जरूरत है। वहां नियमित पूजा की व्यवस्था सुनिश्चित हो।

दिवंगत वीएचपी नेता अशोक सिंघल के इस सपने को साकार करेंगे अमित शाह और मोहन भागवत

दिवंगत वीएचपी नेता अशोक सिंघल के इस सपने को साकार करेंगे अमित शाह और मोहन भागवत

Source https://www.newstracklive.com/news/vhp-ashok-singhal-mahayagya-amit-shah-mc25-nu-1326445-1.html

नई दिल्लीः विश्व हिंदू परिषद के पूर्व संरक्षक और दिवंगत नेता अशोक सिंघल अयोध्या में राममंदिर निर्माण के लिए होने वाले आंदोलनों के मुख्य कर्ताधर्ता हुआ करते थे। उनके इस योगदान को भगवा परिवार में आज भी काफी सम्मानपूर्वक रूप से याद किया जाता है। अशोक सिंघल हिंदू समाज के विभिन्न वर्गों और अन्य सभी धर्म के लोगों को भी एक मंच पर लाना चाहते थे। इसके लिए वे चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ भी करवाना चाहते थे और इसके लिए पूरी तैयारी कर ली थी। मगर इस कार्यक्रम के होने के पूर्व ही उनका देहांत हो गया और उनका यह सपना अधूरा रह गया। मगर उन्हीं के नाम पर बने संगठन अशोक सिंघल फाउंडेशन अब उनका सपना साकार करेगा।

फाउंडेशन और विश्व हिंदू परिषद के सहयोग से यह 'चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ' आगामी नौ अक्तूबर से दिल्ली में शुरू होगा। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत और भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे। कार्यक्रम को जगद्गुरु रामानुजाचार्य परमहंस परिव्राजकाचार्य के अगुवाई में संपन्न होगा। वीएचपी के प्रमुख नेता डॉ. सुरेंद्र जैन ने एक अखबार से बात करते हुए कहा कि अशोक सिंघल पूरे हिंदू समुदाय को एक सूत्र में बांधने के हमेशा पक्षधर रहे। वे जातियों में बंटने को हिंदू धर्म के लिए ही नहीं, पूरे देश के लिए बेहद घातक मानते थे। वह समाज के सभी वर्गों को एक सूत्र में बांधना चाहते थे।

Chaturveda Swahakar Mahayagya will promote Vedic knowledge: VHP

Chaturveda Swahakar Mahayagya will promote Vedic knowledge: VHP

Source https://www.newsbharati.com/Encyc/2019/10/7/VHP-yagya-in-Delhi-from-9th.html

New Delhi, Oct 7: In oder to facilitate promotion of Vedic knowledge and science among the populace a ‘Chaturveda Swahakar Mahayagya is being organized jointly by the Vishwa Hindu Parishad (VHP), Ashok Singhal Foundation and Jhandewalan Devi Mandir in New Delhi from October 9 to 14, 2019.

This information was given by Dinesh Chandra, Member of VHP Central Committee, Alok Kumar, VHP Working President and Mahesh Bhagchandka, Trustee of Ashok Singhal Foundation today at a press conference.

They said that as desired by the late Ashok Singhal, who was president of VHP, this yagya is being organised to promote the science and knowledge contained in the four Vedas among the people. This yagya will be held at Laxmi Narayana Temple popularly known as Birla Mandir. During the six day yagya ‘ahutis’ (oblations) will be put with chanting of 29000 Vedic Mantras from all the four Vedas – Rig, Yajur, Sama and Atharva Veda - from 9 am to 12 noon and 5 pm to 8 pm on all the six days.

The yagya will be performed under the guidance and leadership of Sri Sri Ramanujacharya Chinn Jiyar Swamihi of Hyderabad by a team of 50 plus Veda Pandits. There will be religious discourses by the Swamiji daily. To facilitate maximum participation of people, eight ‘rathyatras’ are being organised in the National Capital Region (NCR) to generate public awareness.

The Yagya will see participation of prominent sants, mahants, social, religious, spiritual and political leaders including Juna Peethadhishwar Mahamandaleshwar Sri Avadheshanand Giri, Swami Chidanand Muni from Hardwar, Karshani Guru Sharananda Maharaj from Mathura, RSS Sarsanghchalak Dr Mohanrao Bhagwat. Sarkaryawah Bhayyaji Joshi, Sah-Sarkaryawah Krishna Gopal, Speaker of the Lok Sabha Om Birla, Union Home Minister Amit Shah, Defence Minister Rajnath Singh and others.

It may be mentioned that late Ashok Singhal had planned to hold such a religious event in 2015 at the same venue but it had to be advanced due to his falling health. This was his futuristic vision and this event is now being organised in fulfilment of that vision, the organizers said. The late Ashok Singhal envisioned that this treasure of science and knowledge contained in the Vedas can be and should be disseminated among the people through the competent ‘acharyas’.

The knowledge of the Vedas is useful for the entire universe and to make it easily accessible this event is being organised in National Capital, the organizers said. The intention is to clear the doubts, confusions about the Vedas deliberately spread by the vested interests, they said adding that the knowledge is for all and there is no discrimination on the basis of case, ‘Varna’ or colour. Men and women both can have access to the Vedic knowledge and science.

"It is not just about imparting the Vedic knowledge, but inspiring people to imbibe that knowledge in their daily life. Vedas are symbol of our ancient traditions, culture and civilization. Vedas contain not only the mundane knowledge but also spiritual knowledge", the organisers said.

Chaturved Swaahaakaar Maha Yajna to flourish Vedic knowledge & science: VHP

Chaturved Swaahaakaar Maha Yajna to flourish Vedic knowledge & science: VHP

Source https://www.organiser.org/Encyc/2019/10/7/Chaturved-Swaahaakaar-Maha-Yajna-by-VHP.html

New Delhi, Monday October 07,  2019 – Late Sri Ashokji Singhal very much loved this statement of Rishi Aurobindo that: “Religious movements and revolutions have come and gone or left their mark, but after all and through all, the Veda remains to us our Rock of the Ages, our eternal foundation....”.

In order to make the knowledge and science of the Vedas accessible to the masses, the Chaturved Swahakaar Maha Yagna is being organized in teamwork with Shri Ashok Singhal Foundation and Jhandewalan Devi Temple under the auspices of Vishva Hindu Parishad.

In a press conference organized in this regard, VHP Governing Council Member Sri Dinesh Chandra, VHP Working President Sri Alok Kumar, and Trustee of Ashok Singhal Foundation Sri Mahesh Bhagchandka told that Saketvasi/Late Sri Ashok Singhalji had had a vision and mission to spread the holistic, altruistic and syncretic worldview of the Vedas, its spirituality, knowledge and science in Bharat and abroad, and from that perspective, this six-day event going to be held in the Lakshmi-Narayan Temple (Birla Mandir) in New Delhi would be very important. During these six days, Aahutis (oblations, sacrifices; veneration, adorations), accompanied by the chanting of the extant 29-thousand plus corresponding Mantras (sacred utterances or numinous sounds arousing holistic spiritual emotions and consciousness) of the Rigveda, Yajurveda, Saamaveda and the Atharvaveda, will be offered from 9 a.m. to 12 noon and from 5 p.m. to 8 p.m. The Yajna will be performed by more than 50 Vedic Pundits under the Brahmatva of His Holiness Sri Sri Sri Tridandi Srimannarayana Ramanuja Chinna Jeeyar Swamiji of Hyderabad. There will also be daily discourses of Venerable Swamiji. Eight Rath Yatras are also going on in the National Capital to publicize the Mahayagna.

In this Delhi event, not only will the Aahutis be offered in the Mahayagna with chaste, energetic, rhythmic and metrical chanting of each and every Vedic Mantra under the direction of the best Vedic masters and scholars from South India, but efforts will also be made to remove many misconceptions prevailing in society in the context of the Vedas, and inspire and motivate people to hold such Mahayagnas in all parts of the globe.

It was informed that many leading Sants, Mahants, key figures from social, cultural, political fields, etc., from all over the country, including H.H. Mahamandaleshwar Juna Peethadheeshwar Sri Avadheshanand Giri Maharaj, H.H. Swami Chidanand Muni Maharaj from Rishikesh, H.H. Mahamandaleshwar Swami Gurusharananand Maharaj of Karshni Ashram of Raman Reti Mathura, P.P. Sarasanghachalak of Rashtriya Swayamsevak Sangh Dr. Mohan Bhagwat, RSS Sarakaryavaha Sri Bhaiyyaji Joshi, RSS Sah-Sarkaryawah Sri Krishna Gopalji, Hon’ble Speaker of Lok Sabha Shri Om Birla, Hon’ble Union Home Minister Shri Amit Shah and Hon’ble Defence Minister Shri Rajnath Singh, will participate in the programme. 

VHP Governing Council Member Sri Dinesh Chandra, VHP Working President Sri Alok Kumar, and Trustee of Ashok Singhal Foundation Sri Mahesh Bhagchandka addressed the press conference.

It may be mentioned here that the Late VHP President Sri Ashokji Singhal, in the year 2015, had completed extensive preparations for conducting this Chaturveda Swahakaar Maha Yagya at Birla Mandir in Delhi itself, but a few days before his health had suddenly deteriorated, and so the program had to be deferred.

It was also told that the Vedas are beneficial for humanity, the animal kingdom, the plant kingdom, environmental and ecological balance and sustainable model of development. A beginning is being made from the capital Delhi in order that the Vedas, their philosophy, knowledge & science are accessible to the whole world. Late Sri Ashokji Singhal had taken it as a mission so that the spirituality, scientific temper, gregariousness, sociability, companionability, pragmatism and knowledge of every creation contained in the Vedas could be made to reach the common masses of the country and abroad and also many misconceptions that arose in time about the Vedas that such and such persons or communities did not have the right to listen to the Vedas, could be stamped out, and the Chaturveda Swahakar Mahayagna is an effort to fulfil that mission. In fact, there is no discrimination in the Vedas, they are for everyone. Whether one is a man or a woman, the Vedas are for all human beings on Mother Earth.

Partakers from all over India and abroad should remain present here at the time of the Mahayagna for two hours in the morning and two hours in the evening, have a firsthand view of the proceedings, understand the format, appreciate and internalize the spirit and then return to their respective places and initiate holding of such Yagnas there with the aid and advice of the Acharyas of the South, who are available today, who have memorized and gotten by heart all the Mantras of the four Vedas and are proficient in their uncorrupted recitation. This event is being organized with such feelings in heart. For this reason, this Yagna has been named as Chaturveda Swahakaar Maha Yagna.

It was a far-reaching thinking of late Shri Ashokji Singhal and this event is being organized in Delhi to fulfill it. May you come from across the country and abroad, take inspiration from this event, take the help of competent masters and work towards spreading this Vedic knowledge in human society. The knowledge, science and spirituality that are in the Vedas could also be inculcated into the society through establishment of Vedic Universities and Chairs. People from all schools of thought, religion and spirituality have been invited from India and abroad to come with family and join the MahaYagna programmes. Letters of acceptance from four countries have also come! This type of event is being organized in Delhi for the first time ever.

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ से होगा वैदिक ज्ञान-विज्ञान का विस्तार : विहिप

चतुर्वेद स्वाहाकार महायज्ञ से होगा वैदिक ज्ञान-विज्ञान का विस्तार : विहिप

Source https://vhp.org/media/chaturveda-swahakaar-mahayagya/

9 से 14 अक्टूबर तक दिल्ली में होने वाले महा यज्ञ में जुटेंगे देश-विदेश से श्रद्धालु
नई दिल्ली।  अक्टूबर 07, 2019।  वेदों के ज्ञान विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने हेतु विश्व हिन्दू परिषद् के तत्वावधान में श्री अशोक सिंहल फाउंडेशन व झंडेवालान देवी मंदिर के सहयोग से चतुर्वेद स्वाहाकार महा यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में आयोजित प्रेस वार्ता में  विश्व हिन्दू परिषद् की प्रबंध समिति के सदस्य श्री दिनेश चन्द्र, कार्याध्यक्ष श्री आलोक कुमार तथा अशोक सिंहल फाउन्डेशन के न्यासी श्री महेश भागचंदका ने बताया कि श्री अशोक सिंहल जी की कल्पना के अनुसार वेदों में आध्यात्मिकता के साथ उसके ज्ञान का प्रचार-प्रसार देश-विदेश में फैले, इस हेतु दिल्ली के लक्ष्मी नारायण मन्दिर (बिड़ला मंदिर) में होने वाला यह छ: दिवसीय आयोजन बहुत महत्वपूर्ण होगा। इसमें ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद के लगभग 29 हजार मन्त्रों से प्रात: 9 बजे से 12 बजे तक तथा सायं 5 बजे से 8 बजे तक आहूतियां डाली जाएंगीं। हैदरावाद के श्री श्री श्री रामानुजाचार्य पूज्य चिन्न जीयर स्वामी जी के ब्रह्मत्व में 50 से अधिक वेद पंडितों के द्वारा यज्ञ संपन्न किया जाएगा।  प्रतिदिन पूज्य स्वामी जी के प्रवचन भी होंगे। महायज्ञ के प्रचार-प्रसार हेतु सम्पूर्ण राजधानी में 8 रथ यात्राएं भी चल रही हैं।
इस आयोजन में न सिर्फ दक्षिण भारत के श्रेष्ठ आचार्यों व वैदिक विद्वानों के निर्देशन में वेद के एक एक मन्त्र को शुद्ध सस्वर उच्चारण करके महायज्ञ में आहूतियां डाली जाएंगीं बल्कि, वेदों के सन्दर्भ में समाज में व्याप्त अनेक भ्रांतियों का निवारण कर, इस प्रकार के महा यज्ञ सम्पूर्ण विश्व में हों, इस हेतु लोगों को प्रेरित भी किया जाएगा।
बताया गया कि कार्यक्रम में देश भर से अनेक संत, महंत, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व राजनैतिक जगत के अनेक गणमान्य लोग भाग लेंगे। जिनमें जूना पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर पूज्य श्री अवधेशानंद गिरी जी महाराज, ऋषिकेश से पूज्य स्वामी चिदानंद मुनि जी महाराज, रमण रेती मथुरा से कार्षणी गुरु पूज्य शरणानन्द जी महाराज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-संघचालक पू. श्री मोहन भागवत, सर कार्यवाह माननीय श्री भैयाजी जोशी, सह-सरकार्यवाह माननीय श्री कृष्ण गोपाल, लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला, केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह व रक्षा-मंत्री श्री राजनाथ सिंह शामिल हैं।
ज्ञातव्य रहे कि विहिप के पूर्व अध्यक्ष माननीय श्री अशोक सिंहल जी ने वर्ष 2015 में  इसी चतुर्वेद स्वाहाकार महा यज्ञ को दिल्ली के बिड़ला मंदिर में ही आयोजित करने हेतु व्यापक तैयारियां पूरी कर लीं थीं किन्तु उनका स्वास्थ्य अचानक बिगड़ने से निर्धारित समय से कुछ दिन पूर्व ही कार्यक्रम को स्थगित करना पडा था।
यह भी बताया गया कि वेद पूरी सृष्टि में मानव मात्र व प्राणीमात्र के लिए कल्याणकारी हैं। वेदों का नाम, वेदों का दर्शन व उसका ज्ञान-विज्ञान सम्पूर्ण विश्व के लिए सर्व सुलभ हो, उसकी शुरूआत करने हेतु राजधानी दिल्ली से एक शुरूआत की जा रही है। श्रद्धेय श्री अशोक जी सिंघल की कल्पना  में वेदों में जो आध्यात्मिकता, वैज्ञानिकता, सामाजिकता, व्यावहारिकता और सृष्टि मात्र का ज्ञान जो भरा है वह देश-विदेश के सामान्य जनमानस तक पहुँचे तथा वेदों के विषय में कालान्तर में जो अनेकों भ्रांतिया पैदा हुईं कि अमुक-अमुक व्यक्ति या समाज वेदों को सुन नहीं सकता, इस प्रकार की  भ्रांतियाँ भी दूर हो सकें, इसी भाव को लेकर चतुर्वेद स्वाहाकार महा यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। वास्तव में वेदों में कोई भेद नहीं है, ये सबके लिये हैं। महिला हो या पुरुष सबको लेकर पूरी पृथ्वी में मानव मात्र के लिये है। पूरे भारत तथा विदेशों से आये लोग यहाँ महा यज्ञ के समय प्रात: सायं दो-दो घंटे के लिए उपस्थित रहें, समझें, देखें और उसके बाद अपने-अपने स्थान पर जाकर, दक्षिण के आचार्य जो आज उपलब्ध हैं, जिन्हें चारों वेदों के प्रत्येक मंत्र शुद्ध व सस्वर उच्चारण के साथ कंठस्थ हैं, के माध्यम से महा यज्ञ में आहुति देवें।  इस प्रकार का भाव लेकर यह आयोजन किया जा रहा है। इसी कारण इस महा यज्ञ को चतुर्वेद स्वाहाकार महामहा यज्ञ का नाम दिया गया है।
स्वर्गीय श्री अशोक सिंहल जी की यह एक दूरगामी सोच थी जिसको पूरा करने के लिये दिल्ली में यह आयोजन हो रहा है। देश विदेश से आयें और यहां से प्रेरणा लें तथा सक्षम  आचार्यों को बुलाकर इस वैदिक ज्ञान को समाज में विस्तार के साथ पहुँचाने का काम करें। वेदों में जो ज्ञान विज्ञान व आध्यात्मिकता है उसे कहीं न कहीं वेद विश्वविद्यालय इस रूप में खड़ा कर समाज में पहुँचाया जाये। समाज के हर मत-पन्थ सम्प्रदाय के लोगों को भारत और अन्य देशों से सपरिवार आमंत्रित किया गया है। चार देशों की स्वीकृति भी आ गई है। दिल्ली में पहली बार इस प्रकार का आयोजन हो रहा है।
जारी कर्ता:
विनोद बंसल
राष्ट्रीय प्रवक्ता
विश्व हिन्दू परिषद्
M- 9810949109
@VHPDigital

अशोक सिंघल की याद में दिए जाएंगे वैदिक पुरस्कार

अशोक सिंघल की याद में दिए जाएंगे वैदिक पुरस्कार

Source https://www.jagran.com/news/national-vedic-awards-will-be-given-in-the-memory-of-ashok-singhal-16773086.html

संजय सिंघल के अनुसार देश के सभी स्कूलों से तीनों श्रेणियों में अपनी-अपनी प्रविष्टि भेजने को कहा गया।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल की याद में वैदिक पुरस्कार दिये जाएंगे। 'भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार' वैदिक शिक्षा देने वाले सर्वश्रेष्ठ स्कूल, वेदज्ञान में सर्वश्रेष्ठ छात्र और वेद पढ़ाने वाले सर्वश्रेष्ठ शिक्षक तीनों को दिए जाएंगे। पहला वैदिक पुरस्कार पांच अक्टूबर को आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत प्रदान करेंगे।

सिंघल फाउंडेशन के जुड़े संजय सिंघल ने कहा कि अशोक सिंघल संघ के प्रचारक होने के साथ-साथ वेद के भी ज्ञाता थे। उन्हें वेद के पठन-पाठन में विशेष रुचि थी। उनके प्रयास से देश में कई वैदिक स्कूलों की स्थापना भी गई थी। वेदों के प्रति उनके लगाव को देखते हुए उनकी याद में वैदिक पुरस्कार देने का फैसला लिया गया। इसके लिए सभी वैदिक स्कूलों से प्रविष्टि मंगाई गई। उन्होंने कहा कि वैदिक पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिये जाएंगे। पहली श्रेणी वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र, दूसरी उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक और तीसरी श्रेणी वैदिक स्कूल की बनाई गई।

संजय सिंघल के अनुसार देश के सभी स्कूलों से तीनों श्रेणियों में अपनी-अपनी प्रविष्टि भेजने को कहा गया। 14 अगस्त तक आने वाली प्रविष्टियों पर विचार करने के लिए तीन कमेटियों का गठन किया गया। इन कमेटियों में प्रविष्टि भेजने वाले सभी स्कूलों का दौरा किया। छात्रों और शिक्षकों का साक्षात्कार लिया। फिर अपनी ओर से तीनों श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ तीन-तीन विजेताओं के नाम की सिफारिश की। इन सिफारिशों पर विचार करने का काम पांच वैदिक विशेषज्ञों की जूरी ने किया और अंतत एक-एक विजेताओं का चयन किया गया। संजय सिंघल ने कहा कि अब यह पुरस्कार हर साल दिया जाएगा ताकि देश में वैदिक शिक्षा को प्रोत्साहन मिल सके।

पहला भारतात्मा अशोक सिंघल वैदिक पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन पांच अक्टूबर को दिल्ली में किया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता मोहन भागवत करेंगे। प्रथम पुरस्कार पाने वाले छात्र को तीन लाख रुपये, शिक्षक को पांच लाख रुपये और स्कूल को सात लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।

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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2080 के शुभ अवसर पर आप सभी को हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं|